ऋग्वेद अनुवाद मण्डल १ सूक्त २
ऋग्वेद कदाचित् मानवजाति का प्राचीनतम साहित्य हैं। समस्त भारत दर्शन, विश्व के धर्म व साहित्य उनसे अत्यंत प्रभावित हुए हैं किंतु उनका मूल अर्थ हम भारतीय ही भूल गए। यह आधारभूत अर्थ है उनका आध्यात्मिक ज्ञान व अनुभव, उनका मांत्रिक काव्य। इसी गहन बोध को आधुनिक काल में स्वामी दयानंद व उनके पश्चात श्री अरविंद ने पुनः उजागर किया। यहाँ हम उनके विवेचन व भाष्य से प्रेरित अनुवाद व विश्लेषण प्रकाशित कर रहे हैं।