• 28 Mar, 2024

हिंदू स्वतंत्रता दिवस

हिंदू स्वतंत्रता  दिवस

15 अगस्त, 1947 के लिए महर्षि अरविन्द ने यह कहा था - “भारत को केवल राजनैतिक स्वतन्त्रता प्राप्त हुई है। भारत को आध्यात्मिक रूप से अभी स्वतन्त्र होना है। और यह स्वतन्त्रता तब मिलेगी जब 'भारत शक्ति' का उदय होगा ।”

जैसे किसी स्त्री का कोई पागल आदमी बलात्कार कर सकता है किन्तु उसका प्रेम पात्र कभी नहीं बन सकता। बलात्कारी, उस स्त्री का शरीर तो खंडित कर सकता है पर उसकी आत्मा को छू भी नहीं सकता । वैसे ही 1400 वर्षों से इस्लामी आतंकवादी सत्य सनातन भारत भूमि पर आक्रमण करते करते थक गए किंतु ना तो वे हिन्दुओं का प्रेम पा सके, ना हिन्दुओं को दास बना सके और ना वे हिन्दू धर्म की आत्मा को छू पाए।

जिस प्रकार एक शोषित स्त्री धैर्य व संकल्प के साथ न्याय के लिए लड़ती है, हिन्दू मानस भी अपमान व अत्याचार सहकर भी न्याय के लिए लड़ता रहा है।

इस चमत्कारिक तत्व का सर्वाधिक प्रामाणिक प्रतीक है अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि जहां मन्दिर का शिलान्यास होने जा रहा है। यह राम मन्दिर प्रतीक है हिन्दू हठधर्मिता व सत्य के प्रति समर्पण का।

लाखों हिन्दुओं ने प्राणों की बलि देकर भी इस युद्ध को जीवित रखा। लिखित इतिहास में कोई और ऐसा उदाहरण नहीं है जहाँ पाँच सौ वर्षों तक एक पवित्र स्थान के लिए संघर्ष चला तथा इस्लामी आतंकियों को अंत में हार कर भागना पड़ रहा है।

कैसे कैसे भयानक काल खंडों से गुज़रा है राम जन्मभूमि मुक्ति का आंदोलन। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि औरंगज़ेब व अन्य मुग़लों ने इस स्थान की स्मृति को भी मिटाने के लिए क्या क्या प्रयास किए होंगे।

पर हमारे साधुओं ने, संतों ने, ब्राह्मणों ने, सर्व समाज ने इस घाव को हिन्दू मानस से मिटने नहीं दिया । हमारी सामूहिक चेतना में यह शूल चुभता ही रहा कि राम जन्मभूमि मुक्त करानी है।

कोई मोबाइल नहीं था, दूरदर्शन, तार, या कोई और सूचना तंत्र के बिना भी कैसे इस विषय को जीवित रखा गया, यह अपने आप में एक शोध का विषय होना  चाहिए।

जैसे एक शोषित स्त्री के बलात्कारी को बचाने बिचौलिए दलाल, धन का झुनझुना लाते हैं, समझौते की विभिन्न संभावनाएँ बताते हैं, वैसे ही वामपंथी व जेहादी ठग हिन्दुओं के पास भी आए थे : चिकित्सालय बना दो, सर्वधर्म सद्भावना केन्द्र बना दो, बगल में मस्जिद बना दो इत्यादि।

नमन करना होगा हमें हिन्दू नेतृत्व को, कि एक इंच जगह भी ऐसे दलालों के तर्क को नहीं दी बल्कि श्री राम मन्दिर की छाया से भी कोसों परे मस्जिद की जगह पर आग्रह किया।

जैसे एक स्त्री का शील विनिमय के लिए नहीं होता, वैसे ही धर्म व सत्य के प्रति निष्ठा भी विनिमय नहीं की जा सकती, यह सुन्दरतम सत्य हिन्दुओं ने अपने रक्त की स्याही से काल के ललाट पर अनन्त काल के लिए रेखांकित कर दिया है।

महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज जैसे महापुरुष जेहादियों से सतत लड़ते रहे जिससे कि तुलसीदास जी जैसे ब्राह्मणों को श्री राम की चेतना को पुनर्जीवित व हिन्दू जनमानस में स्थापित करने का अवसर मिला। 

सोते समय कोई राम, सुबह कोई राम बोला,
कमा कर राम कोई, गँवा कर राम बोला, 
कोई गिरा तो राम, कोई उठने पे राम बोला,
कोई मिलते समय, कोई बिछड़ते राम बोला, 
राम आनन्द में, दुख की घड़ी भी राम बोला, 
समर में राम राजा, प्रेम की घड़ी राम बोला,
जनमते राम बोला जो, वो मरते राम बोला ।।

पाँच सौ साल की दासता के प्रतीक को मिटाकर उस पर हमारी वास्तविक स्वतन्त्रता की नींव रखी जा रही है।

हिन्दुओं के संकल्प की महानता कदाचित इस घटना से स्पष्ट हो जाए जो गत माह तुर्की में घटी जब सैंकड़ों वर्षों पुराने कैथीड्रल को किस निर्लज्जता से मस्जिद में परिवर्तित किया गया। विश्व के दो सौ करोड़ ईसाई मुँह में गुड़ डालकर चुपचाप देख रहे हैं।

वही राम जन्मभूमि हेतु हिन्दुओं ने युद्ध, विनय, प्रेम, काव्य, राजनीति या न्याय किसी भी प्रकार से इसे प्राप्त कर के ही साँस ली।

जो बन्धु इस्लामी परम्परायें जानते हैं, वे समझेंगे कि राम जन्मभूमि की मुक्ति, मगरमच्छ के मुँह से निवाला छीनने जैसा कठिन काम था। 

राम जन्मभूमि की मुक्ति सर्वाधिक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है इस्लाम व सनातन धर्म के संघर्ष में। 
यह दिव्य स्वीकृति है अस्तित्व की, कि हिन्दू धर्म ही मानवता का भविष्य है।  
यह एक हुंकार है हिन्दू मानस की, कि काशी व मथुरा भी स्वतंत्र करवा लिए जाएँगे।

नाचिए, गाइए, दीप जलाइए हमारी इस विजय पर । सत्य सनातन धर्म आततायियों की छाती में शूल गाड़कर पुनर्स्थापित हो रहा है। 

कदाचित यही वह वास्तविक स्वतन्त्रता है जिसकी ओर महर्षि अरविन्द ने इंगित किया था। यही वह 'भारत शक्ति' का उदय है जिसकी अपेक्षा उस महायोगी को हिन्दुओं से थी। 

हमारे ऋषियों ने स्त्री को 'शक्ति' यूँ ही नहीं कहा है। नारी का संकल्प व ऊर्जा ही जगत को चलाते हैं। हमारे पूर्वजों को ज्ञात था कि धर्म का वास्तविक स्वरूप स्त्रैण है। इसी स्त्री सुलभ संकल्प व ऊर्जा से सनातन धर्म क्रूर पाशविक आततायियों के सम्मुख भगवा ध्वज लिए खड़ा है। 

यह पृथ्वी मंदिर ढहाने वालों व मनुष्य को दास बनाने की प्रवृत्ति वाले राक्षसों के हाथ में नहीं जाएगी। यह उद्घोष श्री राम मन्दिर के शिलान्यास से सारा विश्व सुन ले।  

हम हिन्दू स्वतन्त्र थे, हैं और रहेंगे।

यहाँ से आगे का मार्ग अब कठिन नहीं है। धर्म पुनर्स्थापित होगा । अधर्म का समूल नाश होगा।

जय श्री राम ।। 

Sri Aurobindo

Seer, poet and writer, unarguably one of the profoundest influencers of human thought and civilization in the last century, Sri Aurobindo is widely known and revered as a Maharishi and Mahayogi. He left his body in Pondicherry on December 5, 1950.