१ ऋतम शब्द वेद के प्रमुख शब्दों में से एक है। ऋतम से अर्थ है सत का प्रकटन। कपाली शास्त्री के अनुसार ऋतम का वही अर्थ है जो बाद में धर्म का हुआ। तत्याना एलिज़ारेंकोवा के अनुसार ऋतम से अर्थ है Cosmic Law या जगत के नियम।
ऋतम से मूल रूप से जुड़े Cognate शब्द हैं हिंदी में ऋतु, ऋत्विज, आदि। और अंग्रेज़ी में right, rite आदि जो Latin के rectus से भी जुड़े हैं।
Rectus से अर्थ है सीधा या straight । उसी से अंग्रेज़ी में right, righteous, rectilinear आदि शब्द आते हैं। ऋतम के प्रकट होने से ही विभिन्न ऋतुओं का उद्भव हुआ। और ऋत्विज वह जो यज्ञ के द्वारा ऋतम को स्थापित करे।
२ सूर्य का वेद में विशेष स्थान है। सूर्य एकत्व व सच्चिदानंद के प्रतीक हैं। इन्हें विभिन्न नामों व रूपों से भी जाना गया है जैसे सवित्र, पूषण, मित्र-वरुण, आदि।
सूर्य से हिंदी में संबंधित शब्द हैं स्वर, स्व, सुर, स्वामी, आदि। अंग्रेज़ी में Solar। सु-ध्वनि से भाव उठता है वह जो शुभ, मंगलमय व अच्छा है। माना जाता है कि Proto-Indo-European भाषा संस्कृत, ग्रीक व लैटिन की मूल भाषा थी जिसके शब्द soh2wl इन शब्दों के मूल हैं। सुभाष काक कहते हैं कि ऐसा संभव है कि वैदिक संस्कृत इन सभी भाषाओं की मूल भाषा थी।
३ अग्नि वेद के सर्वप्रथम देव हैं जिसका भाव स्वामी दयानंद के अनुसार अग्रे शब्द से आता है। अग्नि न केवल अग्रे नेतार हैं वे हमारा तेज भी हैं; वे हमारे हृदय में दिव्यता हैं, हृदी पुरुष हैं, दिव्य प्रेम हैं।
अग्नि से हिंदी में संबंधित शब्द हैं अंगार, आज्ञ, आग, अंग, आदि। अंग्रेज़ी में विभिन्न शब्द जैसे Agnes, igneous, आदि। रूसी भाषा में ओगने जैसे शब्द हैं जिनका अर्थ है अग्नि।
४ दक्षिणा विवेक की देवी हैं जिनसे समझने, जानने, अच्छे को बुरे से अलग करने का ज्ञान होता है। दक्ष से अर्थ आज भी है वह जो निपुण है। दक्षिणा से अर्थ वेद में केवल भेंट देना नहीं होता किंतु सही समझ से यथा योग्य महत्व देना है।
दक्ष से अंग्रेज़ी में जुड़े शब्द हैं dexterity अर्थात् निपुणता। Dexterity से भाव दाहिना भी उठता है क्योंकि हमारे पूर्वज दाहिने को दक्षता से जोड़ते थे।
५ मित्र देव हैं सौहार्द, प्रेम व सहिष्णुता के। Mithraism का पंथ प्राचीन इतिहास में इन्हीं से जुड़ा है। आज भी हिंदी में मित्र से अर्थ वह जो हितैषी है, भावों से अंतरंग है। श्री अरविंद कहते हैं कि मित्र देव के द्वारा वेद में भावनाओं व Emotional Mind को शुद्ध करने के लिए परम आवश्यक हैं। और भावनाओं का यही अर्थ आज भी मित्र शब्द से आता है।
मित्र सूर्य का एक और नाम हैं जैसा हमने सूर्य के विवरण में जताया। इसलिए मित्र केवल दोस्ती का ही माने नहीं रखते हैं बल्कि दिव्य प्रकाश व विज्ञान का भी। जैसा कोई अंतरंग मित्र आज भी हमारे लिये मायने रखता है।
६ देव: देव शब्द दिव- ध्वनि से आया है जिससे भाव है प्रकाश से भरा या जगमगाता। देव वे हैं जो प्रकाश व ज्ञान से भरे हैं क्योंकि वेद में प्रकाश ज्ञान का संकेत हैं। देव शब्द द्यौ से भी आया है जिसका अर्थ है वह आकाश जिस पर इंद्र देव या Luminous Mind आलोकितमन का स्वामित्व है। देव इस द्यौ में विचरण करते हैं। द्यौ वह लोक हैं जो हमारे मन का प्रतीक है।
देव शब्द आज भी हिन्दी में प्रयुक्त होता है। इसी से दिव्य शब्द भी आता है। अंग्रेज़ी में Diva, Deus या Divine भी देव से संबंधित हैं। द्यौ पिता से ग्रीक में Zeus Pater व लैटिन में Jupiter शब्द आते हैं।
७ वरुण देव हैं बृहदता के, अवैयक्तिक व्यापकता के। ये मित्र देव से वेद में अंतरंग रूप से जुड़े हुए हैं। श्री अरविंद के अनुसार वरुण भी भावनाओं व Emotional Mind को पवित्र करने के लिए आवश्यक हैं। वेद के प्रथम मण्डल के दूसरे सूक्त में ही मित्र-वरुण का आवाहन होता है और उन्हें सोम या आनंद के पान का निमंत्रण दिया जाता है।
पाश्चात्य विवेचकों के अनुसार Uranus जो ग्रीक देव हैं वरुण से संबंधित हैं। वरुण से हिंदी में जुड़े शब्द हैं वरण जिसका अर्थ है अंगीकार कर लेना, आत्मसात या आलिंगन-बद्ध कर लेना या पहन लेना। गायत्री मंत्र में भी वरेण्य शब्द का प्रयोग हुआ है जिससे भाव है वरण करने योग्य। आवरण से अर्थ है पहनने का कपड़ा।
इस प्रकार इन उदाहरणों से हम वैदिक शब्दों का किस प्रकार आधुनिक भाषाओं जैसे हिन्दी या अंग्रेज़ी से संबंध है। यह शोध का विषय हो सकता है ताकि हम वैदिक संस्कृति का व्यापक प्रभाव जो आज भी दिखता है समझ सकें।
( यह लेख श्री अरविंद की विवेचना व अनुवाद Hymns to the Mystic Fire से प्रेरित व संदर्भित है )